‘चलो मम्मी-पापा चलो इक बार ले चलो’ एक ऐसा भजन है जो हमें परिवार के साथ जुड़ने और उनसे स्नेह और विश्वास का संदेश देता है। इस भजन में हमारे लिए माता-पिता का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। हम उनके साथ एक दूसरे के समर्थन में खड़े रहते हैं और उनकी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।

भजन – चलो मम्मी-पापा चलो इक बार ले चलो

चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2
चलो पापा चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
जय माँ जय माँ जय माँ जय माँ
जय माँ जय माँ जय माँ जय माँ

देखना है हमें भी जवाला माँ का खेल रे
ज्योत जगे जिसकी बिना बाटी बिना तेल रे
देखना है हमें भी जवाला माँ का खेल रे
ज्योत जगे जिसकी बिना बाटी बिना तेल रे
झुकता है जहा संसार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2

दिखला दो जगह जहा ध्यानु भक्त आया था
शीश जिसने काट माँ के चरणो में चढ़ाया था
दिखला दो जगह जहा ध्यानु भक्त आया था
शीश जिसने काट माँ के चरणो में चढ़ाया
हुए जहा माँ के चमत्कार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2

कैसा राजा अकबर का वो छतर निराला है
कैसे ताम्बे लोहे के जिनसे निकली ज्वाला है
कैसा राजा अकबर का वो छतर निराला है
कैसे ताम्बे लोहे के जिनसे निकली ज्वाला है
बहती है जहा जल की धार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2

जय माँ जय माँ जय माँ
जय माँ जय माँ जय माँ

दर्शन गोरखनाथ जी की टिब्बी का भी पाना है
हमें अर्जुन नागा वाले मंदिर में भी जाना है
दर्शन गोरखनाथ जी की टिब्बी का भी पाना है
हमें अर्जुन नागा वाले मंदिर में भी जाना है
निर्दोष पूजा के कुछ हार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो

चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ….4

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