भजन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें अपनी आत्मा के साथ जुड़ने की अनुभूति कराता है। भजन सुनने से हम दिव्य ऊर्जा को अपने जीवन में लाते हैं और नेत्रों में आँसू आ जाते हैं।
भजन “दया इतनीं करना, पवन के दुलारे” एक दिव्य भजन है जो हमें समस्त प्राणियों के प्रति दया और करुणा करने का संदेश देता है। इस भजन में शब्दों की खूबसूरती और गीत की सुंदरता हमारे मन को शांति देती है। यह भजन पवन पुत्र हनुमान जी के प्रति हमारी भक्ति का प्रकटीकरण करता है जो हमें शक्ति और उत्साह देता है। इस भजन को सुनकर हमें सदैव दया, प्रेम और करुणा के साथ जीवन जीने का संदेश मिलता है।
भजन – दया इतनीं करना, पवन के दुलारे
दया इतनी करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे,
नजर में बसी हो,
तुम्हारी ही मूरत,
सदा गुण मैं गाऊं,
कपिवर तुम्हारे,
दया इतनीं करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे ॥
तुम्हारा जलेगा,
मिटेंगे मेरे मन के,
सभी अंधियारे,
सहारा जो तेरा,
मिलेगा पवनसुत,
तो जीवन की नैया,
लगेगी किनारे,
सुना है ये हमने,
ज़माने से कपिवर,
सभी काम बनते है,
तुम्हारे ही द्वारे,
दया इतनीं करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे ॥
करूँ कैसे पूजा,
तुम्हारी मैं हनुमत,
विधि वंदना की,
प्रभु हम ना जाने,
झुका लेते है सर,
भाव से अपना,
तुम्हारे दरश के,
प्रभु हम दीवाने,
सुनोगे अरज जो,
हमारी ना हनुमत,
कहाँ जाएँगे हम,
मुसीबत के मारे,
दया इतनीं करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे ॥
है वेदों की भाषा,
तुम्हारे लिए ही,
जाए ना खाली,
वरदान तेरा,
तुम्हारे सहारे,
भक्त जनो की,
कटी दुःख की रातें,
हुआ है सवेरा,
तुम्हारे ही कारण,
पवन प्राण प्यारे,
हुए पुरे सपने है,
जग में हमारे,
दया इतनीं करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे ॥
दया इतनी करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे,
नजर में बसी हो,
तुम्हारी ही मूरत,
सदा गुण मैं गाऊं,
कपिवर तुम्हारे,
दया इतनीं करना,
पवन के दुलारे,
झुकें शीश मेरा,
चरण में तुम्हारे ॥