आरती – श्री शनि देव: कीजै नरसिंह कुंवर की एक अन्य प्रसिद्ध आरती है जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस आरती में शनि देव की महिमा का गुणगान किया जाता है। शनि देव जी को सौर मंडल में स्थित ग्रह माना जाता है जो भाग्य, कर्म और न्याय के स्वामी होते हैं। इस आरती के माध्यम से देवों से उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है और समस्त दुखों एवं अशुभ कार्यों से मुक्ति की अर्थात सफलता की प्रार्थना की जाती है। यह आरती शनि देव के जन्मदिन एवं शनिवार के दिन गाई जाती है।
श्री शनि देव: आरती कीजै नरसिंह कुंवर की
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की ।
वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे ।
हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥
दुसरी आरती वामन सेवा ।
बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे ।
सहसबाहु के भुजा उखारे ॥
चौथी आरती असुर संहारे ।
भक्त विभीषण लंक पधारे ॥
पाँचवीं आरती कंस पछारे ।
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले ॥
तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा ।
हरषि-निरखि गावे दास कबीरा ॥