आरती – श्री गणेश जी की हिंदू धर्म में श्री गणेश जी को समर्पित होती है। यह आरती श्री गणेश जी को समर्पित होती है, जो ज्ञान, समृद्धि, सफलता और सुख का प्रतीक होते हैं। यह आरती जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं को प्रेरित करती है। श्री गणेश जी को आरती की श्रद्धा से उनके भक्तों की समस्याओं का समाधान होता है। इस आरती में श्री गणेश जी के गुणों का गुणगान होता है जो उन्हें अनुग्रह और कृपा के साथ भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यह आरती सुबह-शाम गाई जाती है और उसके साथ ध्यान में रहकर भक्तों को श्री गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है।

आरती – श्री गणेश जी की

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

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