कुष्मांडा देवी हिंदू धर्म में मां दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं। इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती हैं। कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है क्योंकि इन्होंने शुरुआत में शाप देकर असुरों को कुश्मांड (लहसुन) बना दिया था। इनकी आरती का पाठ भक्तों को भयहीन रखता है और उन्हें सुख, समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति में मदद करता है। इस आरती में मां कुष्मांडा की महिमा गायी जाती है जो उनके भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
कुष्मांडा देवी की आरती
माँ कूष्मांडा आरती:
कूष्मांडा जय जग सुखदानी ।
मुझ पर दया करो महारानी ॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली ।
शाकंबरी मां भोली भाली ॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे ॥
भीमा पर्वत पर है डेरा ।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा ॥
सबकी सुनती हो जगदंबे ।
सुख पहुंचती हो मां अंबे ॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा ।
पूर्ण कर दो मेरी आशा ॥
मां के मन में ममता भारी ।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी ॥
तेरे दर पर किया है डेरा ।
दूर करो माँ संकट मेरा ॥
मेरे कारज पूरे कर दो ।
मेरे तुम भंडारे भर दो ॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए ।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए ॥