श्री नाथ जी की मंगल आरती गोरखनाथ मठ में प्रतिदिन समय समय पर प्रार्थना की जाती है। यह आरती श्री नाथ जी को समर्पित है जो गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। इस आरती को गुरुदेव गोरखनाथ और श्री नाथ जी की कृपा के लिए गाया जाता है। यह आरती गोरखनाथ मठ में नहीं सुनाई देती है बल्कि दुनिया भर में श्री नाथ जी के भक्त इसे अपने घर में भी गाते हैं। इस आरती के द्वारा भक्त श्री नाथ जी की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
श्री नाथ जी की मंगल आरती गोरखनाथ मठ
जय गोरख योगी (श्री गुरु जी) हर हर गोरख योगी ।
वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन योगी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्रीगुरुजी) योग युक्ति पूरे ।
सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में
जटा मुकुट सिर सोहत मन मोहत भस्मन्ती तन में ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
आदि पुरुष अविनाशी, निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी,
सुमिरण से अघ छूटे, सुमिरन से पाप छूटे, टूटे यम फाँसी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणी (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि,
सीता शोक निवारक, सीता मुक्त कराई, मार्यो लंक धनी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
नन्दनन्दन जगवन्दन, गिरधर वनमाली, (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली
निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणी बाली ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
धारा नगर मैनावती तुम्हरो ध्यानधरे (श्रीगुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे
अमर किये गोपीचन्द, अमर किये पूर्णमल, संकट दूर करे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
चन्द्रावल लखरावल निजकर घातमरी, (श्रीगुरुजी) निजकर घातमरी,
योग अमर फल देकर, 2 क्षण में अमर करी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी, (श्रीगुरुजी)जनकादिक ज्ञानी
मान दिलीप युधिष्ठिर 2 हरिश्चन्द्र से दानी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्रीगुरुजी) गणपति चँवर करे
जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
दया करी चौरंग पर कठिन विपतिटारी (श्रीगुरुजी) कठिन विपतिटारी
दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
इतनी श्री नाथ जी की मंगल आरती निशदिन जो गावे (श्रीगुरुजी)
प्रात समय गावे, भणत विचार पद (भर्तृहरि भूप अमर पद)सो निश्चय पावे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥