भगवद्गीता का महत्व भारतीय संस्कृति और धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं और धर्म के संबंध में विस्तृत ज्ञान दिया था। यह पुरातन धर्मग्रंथ हमारे समस्त विचारों, क्रियाओं और नैतिकता की आधारशिला है। भगवद्गीता की आरती अत्यंत प्रभावशाली होती है जो भगवद्गीता की महिमा को गुणगान करती है और हमें अनुशासन, शांति, सद्भाव और प्रकृति के साथ संयोग में रहने की प्रेरणा देती है।
भगवद् गीता आरती
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा ॥
जय भगवद् गीते…॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी ॥
जय भगवद् गीते…॥
राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि,
तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
जय भगवद् गीते…॥
आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी ॥
जय भगवद् गीते…॥
समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी ॥
जय भगवद् गीते…॥
दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै ॥
जय भगवद् गीते…॥
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥