श्री गंगा जी की आरती का पाठ सभी धर्मों में संस्कृति और त्यौहार का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस आरती का पाठ समुद्र में स्थित श्री गंगा जी को समर्पित होता है। यह आरती उनकी पूजा अर्चना का एक उत्कृष्ट तरीका है। इस आरती के माध्यम से लोग श्री गंगा जी के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और उनसे अपने पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं। श्रद्धालु लोग इस आरती का पाठ करते हुए श्री गंगा जी को भक्ति और समर्पण के साथ याद करते हैं।
आरती श्री गंगा जी की
हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी,
जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी,
सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में,
मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।