आरती – ॐ जय महावीर प्रभु हिंदू धर्म में महावीर भगवान को समर्पित होती है। महावीर भगवान जैन धर्म के प्रमुख देवता हैं और उन्हें जैन धर्म के तीर्थंकर भी कहा जाता है। इनकी आरती का पाठ जैन समुदाय के लोगों द्वारा भक्ति भाव से किया जाता है। इस आरती में महावीर भगवान की महिमा और उनके गुणों का गुणगान होता है जो उन्हें अनुग्रह और कृपा के साथ भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। आरती में भक्तों द्वारा महावीर भगवान के नाम के जप से उन्हें समर्पित भाव से पूजा जाता है। यह आरती शाम को सूर्यास्त के समय गाई जाती है जिससे भक्तों को शांति, संतुलन और शक्ति की प्राप्ति होती है।

आरती – ॐ जय महावीर प्रभु

ॐ जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभु ।
कुण्डलपुर अवतारी,
चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥

सिध्धारथ घर जन्मे,
वैभव था भारी ।
बाल ब्रह्मचारी व्रत,
पाल्यो तप धारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

आतम ज्ञान विरागी,
सम दृष्टि धारी ।
माया मोह विनाशक,
ज्ञान ज्योति जारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जग में पाठ अहिंसा,
आप ही विस्तारयो ।
हिंसा पाप मिटा कर,
सुधर्म परिचारियो ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

अमर चंद को सपना,
तुमने परभू दीना ।
मंदिर तीन शेखर का,
निर्मित है कीना ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जयपुर नृप भी तेरे,
अतिशय के सेवी ।
एक ग्राम तिन्ह दीनो,
सेवा हित यह भी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जल में भिन्न कमल जो,
घर में बाल यति ।
राज पाठ सब त्यागे,
ममता मोह हती ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

भूमंडल चांदनपुर,
मंदिर मध्य लसे ।
शांत जिनिश्वर मूरत,
दर्शन पाप लसे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जो कोई तेरे दर पर,
इच्छा कर आवे ।
धन सुत्त सब कुछ पावे,
संकट मिट जावे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

निशदिन प्रभु मंदिर में,
जगमग ज्योत जरे ।
हम सेवक चरणों में,
आनंद मूँद भरे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

ॐ जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभु ।
कुण्डलपुर अवतारी,
चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥

 

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