श्री चिंतपूर्णी देवी जी की आरती के द्वारा भक्त उन्हें समर्पित अपनी पूजा-अराधना का प्रदर्शन करते हैं। यह आरती उनकी सर्वशक्तिमान् स्वरूप को पुकारती है और उनके समस्त भक्तों को संतोष देती है। श्री चिंतपूर्णी देवी जी हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और उन्हें सभी देवियों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इस आरती को गाकर भक्त उन्हें अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख से भर देने की कामना करते हैं।
श्री चिंतपूर्णी देवी जी की आरती
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
जन को तारो भोली माँ,
काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा ॥
॥ भोली माँ ॥
सिन्हा पर भाई असवार,
भोली माँ, चिंतपूर्णी चिंता दूर ॥
॥ भोली माँ ॥
एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूल सम्भालो ॥
॥ भोली माँ ॥
चौथे हाथ चक्कर गदा,
पाँचवे-छठे मुण्ड़ो की माला ॥
॥ भोली माँ ॥
सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे,
आठवे से असुर संहारो ॥
॥ भोली माँ ॥
चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाये ॥
॥ भोली माँ ॥
हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान ॥
॥ भोली माँ ॥
औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया ॥
॥ भोली माँ ॥
सुमन चरण ध्यानु जस गावे,
भक्तां दी पज निभाओ ॥
॥ भोली माँ ॥
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ