आरती – पंच परमेष्ठी भगवान की हिंदू धर्म में पंच परमेष्ठी भगवान को समर्पित होती है। इन्हें हम प्रत्येक देवता की भाँति पूजते हैं। इनके नाम हैं – श्री शिव, श्री विष्णु, श्री दुर्गा, श्री गणेश और सूर्य देव। इन पंच परमेष्ठी भगवान की आरती समस्त भक्तों द्वारा प्रतिदिन पूजा जाती है। यह आरती इन पंच देवताओं को धन, समृद्धि, दीर्घायु, बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती है। इस आरती में पंच परमेष्ठी भगवान के गुणों का गुणगान होता है जो उन्हें अनुग्रह और कृपा के साथ भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यह आरती शाम को सूर्यास्त के समय गाई जाती है जिससे भक्तों को शांति, संतुलन और शक्ति की प्राप्ति होती है।
आरती – पंच परमेष्ठी भगवान की
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
पहली आरति श्रीजिनराजा,
भव दधि पार उतार जिहाजा ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
दूसरी आरति सिद्धन केरी,
सुमिरन करत मिटे भव फेरी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
तीजी आरति सूरि मुनिंदा,
जनम मरन दु:ख दूर करिंदा ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
चौथी आरति श्री उवझाया,
दर्शन देखत पाप पलाया ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
पाँचमि आरति साधु तिहारी,
कुमति विनाशन शिव अधिकारी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
छट्ठी ग्यारह प्रतिमाधारी,
श्रावक वंदूं आनंदकारी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
सातमि आरति श्रीजिनवानी,
‘द्यानत’ सुरग मुकति सुखदानी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे ॥