माँ कालरात्रि जी अपनी सामर्थ्यशाली शक्ति के लिए जानी जाती हैं और उन्हें अधिकतर भक्त श्रद्धा से पूजते हैं। आरती माँ कालरात्रि के उत्सव में जलायी जाती है जो अस्थिर होते हुए भी उनकी शक्ति के सामने समर्पित होती है। इस आरती में माँ कालरात्रि की शक्ति और क्रोध का वर्णन किया गया है जो उनके भक्तों को दुःख और संकट से मुक्त करती है। यह आरती माँ कालरात्रि के भक्तों के द्वारा उन्हें समर्पित की जाती है जो उनकी शक्ति को महसूस करना चाहते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं माँगना चाहते हैं।
माँ कालरात्रि जी की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥