आरती युगलकिशोर की, श्री राधा कृष्ण जी की जय! ये आरती उन भगवान कृष्ण और उनकी सदैव समर्थ श्री राधा के लिए है जिन्होंने बृजभूमि को अपनी लीलाओं और मधुर रास रचनाओं से सजाया है। इस आरती के माध्यम से, भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को उन्हें समर्पित करते हैं और उन्हें अपनी श्री राधा कृष्ण की आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह आरती भक्तों को अपनी साधना में तत्परता के साथ रखने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें दैनिक जीवन में भगवान कृष्ण की सेवा करने का संदेश देती है।
आरती युगल किशोर की कीजै
आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥
ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥
फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥
कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥