आरती – श्री विंध्येश्वरी माता की भक्तों के बीच बड़ी पूजनीय मानी जाती है। विंध्येश्वरी माता हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध देवी हैं जिनकी पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। वह शक्ति की देवी हैं और उन्हें संसार की समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाली माना जाता है। इस आरती में विंध्येश्वरी माता की महिमा, उनके गुणों का गुणगान और उनके अनुग्रह का वर्णन होता है। इस आरती को गाकर भक्तों की उत्तेजना बढ़ती है और उन्हें शक्ति देने के साथ-साथ उनके दुःखों को दूर करती है। यह आरती विशेष अवसरों पर जैसे नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान अधिक भक्तों द्वारा गाई जाती है।
आरती – श्री विंध्येश्वरी माता की
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चडाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।
मोहन भोग लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥