इक काँधे पे लखन विराजे दूजे पर रघुवीर, यह भजन हमें हमारी संस्कृति और धर्म के महानायक श्री रामचंद्र जी के बारे में याद दिलाता है। इस भजन में हम लखन, शत्रुघ्न, भरत, अन्य राजा तथा हनुमान जी के साथ-साथ श्री रामचंद्र जी के चारों तरफ के व्यक्ति को समर्पित करते हुए उनके भक्ति और नेतृत्व को समझाते हैं। यह भजन हमें इन सभी महानायकों की महिमा और उनके वीरता और न्याय के लिए समर्पित है।
भजन – इक काँधे पे लखन विराजे दूजे पर रघुवीर
इक काँधे पे लखन विराजे दूजे पर रघुवीर,
वीर बलि महावीर हरी तुमने भक्तों की पीर,
सिया राम के भजन में मगन रहना,
हे हनुमान तेरा क्या कहना,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम ॥
बजता तेरे नाम का डंका,
भय भागे दुख निकट ना आवे,
उलझन रहे ना शंका,
तेरी भक्ति का जिसने कवच पहना,
हे हनुमान तेरा क्या कहना,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम ॥
बगिया उजाडी लंक जलाई,
खबर सिया की लाए,
ले संजीवन लौटे झटपट,
प्राण लखन के बचाए,
श्री राम का नाम तेरा गहना,
हे हनुमान तेरा क्या कहना,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम ॥
संकट मोचन दुखहर्ता,
वर माँ सिया ने दीन्हा,
मंगल शनि जो करता पूजा,
मंगल उसका कीन्हा,
सदा सरल सुधा रस का बहना,
हे हनुमान तेरा क्या कहना,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम ॥
इक काँधे पे लखन विराजे दूजे पर रघुवीर,
वीर बलि महावीर हरी तुमने भक्तों की पीर,
सिया राम के भजन में मगन रहना,
हे हनुमान तेरा क्या कहना,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम ॥