भजन हमारे आस-पास के वातावरण को शुद्ध करने और हमारे आस-पास के दुखों को दूर करने का काम करते हैं। भजनों के माध्यम से हम अपने आस-पास के तनाव, चिंता और दुखों से मुक्त होते हैं और आत्मशक्ति प्राप्त करते हैं।

भजन “मैं हूँ दासी तेरी दातिए” में हम माँ दुर्गा को अपनी देवी माँ मानते हुए उनसे उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। इस भजन के माध्यम से हम अपने आप को माँ दुर्गा के चरणों में समर्पित करते हुए उनसे अपनी समस्याओं का समाधान मांगते हैं।

इस भजन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपने आप को माँ दुर्गा के समर्पित करना होगा। यह भजन हमें याद दिलाता है कि हम माँ दुर्गा की सेवा करते हुए उनसे अपनी समस्याओं का समाधान मांगने में सफल हो सकते हैं।

भजन – मैं हूँ दासी तेरी दातिए

मैं हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए,
मैया जब तक जियूं,
मैं सुहागन रहूं,
मुझको इतना तू वरदान दे,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

मेरा प्राणो से प्यारा पति,
मुझसे बिछड़े ना रूठे कभी,
माता रानी इसे मेरी आयु लगे,
ये मनोकामना है मेरी,
माँ तेरे लाल की,
माँ तेरे लाल की मैं हूँ अर्धांगिनी,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए,
मैया जब तक जियूं,
मैं सुहागन रहूं,
मुझको इतना तू वरदान दे,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

मैया तू ही मेरी आस है,
मेरा तुझपे ही विश्वास है,
आसरा है तेरा,
मुझपे करना दया,
मेरी तुझसे ये अरदास है,
बिन तेरे प्यार के,
बिन तेरे प्यार के क्या मेरे पास है,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए,
मैया जब तक जियूं,
मैं सुहागन रहूं,
मुझको इतना तू वरदान दे,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

मैं हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए,
मैया जब तक जियूं,
मैं सुहागन रहूं,
मुझको इतना तू वरदान दे,
मै हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए ॥

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