गुरु दत्ताची आरती श्रद्धा और भक्ति की भावना से सम्पन्न होती है। गुरु दत्ता जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और इन्हें दत्तागुरु के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें संसार के समस्त दुखों से मुक्ति देने वाले माना जाता है जिनके ध्यान से सभी संकटों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। इस आरती को गुरु दत्ता जी को समर्पित किया जाता है जो अपनी कृपा और आशीर्वाद से सभी अनुयायियों के संकटों से रक्षा करते हैं।

गुरु दत्ताची आरती

त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा ।
त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्य राणा ।
नेती नेती शब्द न ये अनुमाना ॥
सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना ॥

जय देव जय देव जय श्री गुरुद्त्ता ।
आरती ओवाळिता हरली भवचिंता ॥

सबाह्य अभ्यंतरी तू एक द्त्त ।
अभाग्यासी कैची कळेल हि मात ॥
पराही परतली तेथे कैचा हेत ।
जन्ममरणाचाही पुरलासे अंत ॥

दत्त येऊनिया ऊभा ठाकला ।
भावे साष्टांगेसी प्रणिपात केला ॥
प्रसन्न होऊनि आशीर्वाद दिधला ।
जन्ममरणाचा फेरा चुकवीला ॥

दत्त दत्त ऐसें लागले ध्यान ।
हरपले मन झाले उन्मन ॥
मी तू पणाची झाली बोळवण ।
एका जनार्दनी श्रीदत्तध्यान ॥

Donate to Support Our Work

Suggested donation amounts: 50-350, 350-500

Leave a Reply