सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र हिंदी में एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस स्तोत्र में सप्तश्लोक (सात श्लोक) हैं जो दुर्गा की महिमा, शक्ति और आशीर्वाद को वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र संसार के सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है और व्यक्ति को भय और दुःख से मुक्ति देता है
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र के पहले श्लोक में देवी दुर्गा को भयमुक्त, शक्तिशाली और प्रभावशाली बताया गया है। दूसरे श्लोक में उनकी जय का जिक्र है और तीसरे श्लोक में उनकी शक्ति का वर्णन है। चौथे श्लोक में दुर्गा का रूपांतरण हुआ है जब वह चंडी के रूप में आती हैं। पांचवें श्लोक में दुर्गा का रक्षा करने वालों को आशीर्वाद दिया गया है। छठवें श्लोक में उनकी स्तुति हुई है और सातवें श्लोक में देवी दुर्गा के आशीर्वाद का वर्णन है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र भगवान रामनाम की तरह बहुत शक्तिशाली है और इसे नित्य पाठ करन
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्
॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥
शिव उवाच:
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥
देव्युवाच:
शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् ।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
विनियोग:
ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः ।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा ।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥
रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा
तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम् ॥7॥
॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम् ॥